अपने रिश्ते में कभी शक़ को न आने देना ये बिना आग ही घर बार जला देता है!
Category: Mosam Shayri
फख्र इतना भी
फख्र इतना भी न कर दोस्त कभी सूरत पर सेब को वक्त छुआरा भी बना देता है!
उलझा के रख दिया है
उलझा के रख दिया है किसी ने जवाब को सीधा सा था सवाल….प्यार करते हो या नहीं…
प्यासे जब भी
प्यासे जब भी पानी-पानी करते हैं। दरिया वाले आना कानी करते है।।
उनकी आँखों से
उनकी आँखों से आँखें मिली और हमको नशा हो गया…
सितारे भी जाग रहे हो
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो.. ऐ चाँद ले चल मुझे वहाँ जहाँ उसके सिवा कोई ना हो ।।
रात को अक्सर
रात को अक्सर ठीक से नींद ही नहीं आती, घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ।
मेरी आँखों में
मेरी आँखों में आँसू की तरह एक रात आ जाओ, तकल्लुफ से, बनावट से, अदा से…चोट लगती है।
क्या इल्जा़म लगाओगे
क्या इल्जा़म लगाओगे मेरी आशिकी पर, हम तो सांस भी तुम्हारी यादों से पूछ कर लेते है..
बात मिज़ाज़ो की है
बात मिज़ाज़ो की है कि गुल कुछ नही कहते वरना कभी कांटों को मसलकर दिखलाइये..