उठाना खुद ही पड़ता है

उठाना खुद ही पड़ता है, थका टुटा बदन अपना…… कि जब तक सांस चलती है कोई कांधा नही देता….

मेरे बस में हो

मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं, लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।

नशे में चूर होगी

नशे में चूर होगी तू किसी ग़ैर की बांहों में, दबाकर लकड़ियों में जब मुझे दुनिया जलायेगी

हर बार रिश्तों में

हर बार रिश्तों में और भी मिठास आई है, जब भी रूठने के बाद तू मेरे पास आई है !!

उस मोड़ से

उस मोड़ से शुरु करे आ फिर से जिंदगी.. हर शह जहां हसीन थी..और हम तुम अजनबी..

ये सगंदिलो की दुनिया है

ये सगंदिलो की दुनिया है,संभलकर चलना गालिब, यहाँ पलकों पर बिठाते है, नजरों से गिराने के लिए…

हसरतें जिद्दी औलाद सी

हसरतें जिद्दी औलाद सी होती है… और जिंदगी मजबूर माँ सी..!

मैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ..

मैं तेरा कुछ भी नहीं हूँ.. मगर इतना तो बता… देखकर मुझको… तेरे ज़हन में आता है क्या….

जिस कदर मेरी

जिस कदर मेरी ख्वाहिशों की पतंग उड़ रही है, एक न एक दिन कटकर लूट ही जानी है….

बदल जाती हो तुम …

बदल जाती हो तुम ….. कुछ पल साथ बिताने के बाद…… यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा…

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