कोई अल्फ़ाज़ चुरा के

एक शायर के घर चोरी हुई, कोई अल्फ़ाज़ चुरा के ले गया….

तू अन्धा है

ऐ इश्क मै सुना था कि तू अन्धा है .. फ़िर रास्ता मेरे दिल का बताया किसने

दिल्ली की तरह

काश मोहब्बत भी दिल्ली की तरह होती ।,, एक दिन वो करती , एक दिन उसकी सहेली ।।

सिसकियाँ लेता है

सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा ‘गालिब’…, नोंच नोंच कर खा गई तेरी यादें मुझे…।

मरी वफा पे

मरी वफा पे खाक दालो… .ये बताओ आज कल किसके हो…!

मोहब्बत मिलती है

सुना था मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले, . . लेकिन, . . हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया…

खुशियों का पता

खुशियों का पता, दूर से हांफते हुए आते बच्चे ने सरकारी नल से पी सकने जितना पानी पिया, और गीले हाथों में सिमट आई खुशियों को मल लिया मैली कमीज़ पर…!!!

वो मासूमियत से

दम तोड़ जाती है हर एक शिकायत लबो पे आकर ,,,, जब वो मासूमियत से कहती है मैंने क्या किया है ।

जिंदगी मे काश

जिस उम्र मे जो करने का मन हो, वो उसी उम्र मे कर लेना चाहिए..! वरना, जिंदगी मे ‘काश’ बढ़ जाते हैं…!!

झुर्रियां दिखने लगी है

ख्वाहिशों की झुर्रियां दिखने लगी है … . . . और जिम्मेदारीयाँ जवाँ होने लगी है …!!

Exit mobile version