मोहब्बत ठंड जैसी है

मोहब्बत ठंड जैसी है साहब लग जाये तो बीमार कर देती है।

मेरे लिये ना सही

मेरे लिये ना सही इनके लिये आ जाओ …….. तेरा बेपनाह इन्तजार करती हैं आँखें .

पहले में देख देख के

पहले में देख देख के पढ़ता था फिर मेने याद कर लिया उसे |

काश वो आकर कहे

काश वो आकर कहे, एक दिन मोहब्बत से……!! ये बेसब्री कैसी ? तेरी हूँ, तसल्ली रख…!!

क्या गलतियां की हमने कभी

क्या गलतियां की हमने कभी नहीं बताया उन्होंने… बस प्यार घटता गया फासले बढ़ते गए ….

उसको पाने कि जिद

मैनें बस उसको पाने कि जिद कि थी …. खुद को खोने का कोई ईरादा नही था ….

अगर मैं बर्दाश्त नहीं..!

कीजिए फ़ैसला..एहसान नहीं.. अगर मैं बर्दाश्त नहीं..!!

मेरे लफ़्ज़ों को अब

मेरे लफ़्ज़ों को अब भी नशा है तुम्हारा … निकल कर ज़हन से, कागज़ों पर गिर पड़ते हैं …

कुछ बाते उससे छुपायीं थी

कुछ बाते उससे छुपायीं थी … और कुछ कागज़ों को बतायीं थी …

कहीं तुम भी

कहीं तुम भी न बन जाना किरदार किसी किताब का लोग बड़े शौक से पड़ते है कहानिया बेवफाओं की….

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