नसीबो में नहीं

नसीबो में नहीं जिनके कमाने और खाने मुझे उनके गुजारे अजीब लगे |

कई रिश्तों को

कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही निकला, जरूरत ही सब कुछ है, महोब्बत कुछ नहीं….

यहाँ हर कोई रखता है

यहाँ हर कोई रखता है, खबर गैरो के गुनाहों की… अजब फितरत हैं, कोई आइना रखता ही नही…..

पहना रहे हो

पहना रहे हो क्यूँ मुझे तुम काँच का लिबास, . क्या बच गया है फिर कोई पत्थर तुम्हारे पास…

जलता रहा चिराग

जलता रहा चिराग तेरे इंतजार मे … तुम आये भी तो हवा बनकर

फासले बढाने वाले

तूने फेसले ही फासले बढाने वाले किये थे , वरना कोई नहीं था, तुजसे ज्यादा करीब मेरे..।

कितने खुबसूरत हुआ

कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन…. के सिर्फ दो उंगलिया जुडने से दोस्ती फिर शुरू हो जाती थी….

उसकी गली का

उसकी गली का सफर आज भी याद है मुझे… मैं कोई वैज्ञानिक नहीं था पर मेरी खोज लाजवाब थी…

मैने खत को देखा

मैने खत को देखा और रख दिया बिना पढे हुए मै… जानता हु उसमे भुल जाने का मशवरा होगा…

एक था राजा

एक था राजा, एक थी रानी, दोनों मर गए, खत्म कहानी कुछ याद आया, सबने भूतकाल में सुना होगा ! अब भविष्य की सुनो कोख से बेटी, धरती से पानी दोनों मिट गए, खत्म कहानी………

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