मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे, तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..
Category: Love Shayri
परिन्दों की फिदरत से
परिन्दों की फिदरत से आये थे वो मेरे दिल में , जरा पंख निकल आये तो आशियाना छोड़ दिया ..
कल बड़ा शोर था
कल बड़ा शोर था मयखाने में, बहस छिड़ी थी जाम कौन सा बेहतरीन है, हमने तेरे होठों का ज़िक्र किया, और बहस खतम हुयी..
मेरे ग़ज़लों में हमेशा
मेरे ग़ज़लों में हमेशा, ज़िक्र बस तुम्हारा रहता है… ये शेर पढ़के देखो कभी, तुम्हे आईने जैसे नज़र आएंगे
चलो तुम रास्ते ख़ोजो
चलो तुम रास्ते ख़ोजो बिछड़ने के, हम माहौल पैदा करते है मिलने के !!
आग लगाना मेरी
आग लगाना मेरी फ़ितरत में नहीं.., पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये… उस में मेरा क्या क़सूर…!!
तुझे तो मिल गये
तुझे तो मिल गये जीवन मे कई नये साथी, . . लेकिन….. . . “मुझे हर मोड़ पऱ तेरी कमी अब भी महसूस होती है….!!
जिसे शिद्दत से
जिसे शिद्दत से चाहो , वो मुद्दत से मिलता है , बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई शिद्दत सै चाहने वाला
छलकता है कुछ
छलकता है कुछ इन आँखों से रोज़.. कुछ प्यार के कतऱे होते है ..कुछ दर्द़ के लम्हें|
आज तेरी याद
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये .. तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये|