दीवानगी के लिए तेरी गली मे आते हैं.. वरना.. आवारगी के लिए सारा शहर पड़ा है..
Category: Love Shayri
इन होंठो की
इन होंठो की भी न जाने क्या मजबूरी होती है, वही बात छुपाते है जो कहनी जरुरी होती है !!
गुज़री तमाम उम्र
गुज़री तमाम उम्र उसी शहर में जहाँ… वाक़िफ़ सभी थे कोई पहचानता न था..
बहुत शौक था
बहुत शौक था हमें सबको जोडकर रखने का होश तब आया जब खुद के वजूद के टुकडे देखे..
शाम ढलते ही
शाम ढलते ही दरीचे में मेरा चाँद आकर। मेरे कमरे में अँधेरा नहीं होने देता।।
उस दुकान का पता
दो जहाँ लिखा हो, साहिब टूटे दिल का काम तसल्ली-बक्श किया जाता हैं..
अब न वो
अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है, जैसे दो साए तमन्ना के सराबों में मिलें…
समंदर बेबसी अपनी
समंदर बेबसी अपनी, किसी से ‘कह’ नही सकता. ‘हज़ारों’ मील तक ‘फैला’ है, फिर भी ‘बह’ नही सकता..
सोचो तो सिलवटों से
सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह, देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में…
ढूंढ उजड़े हुए
ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती, ये खज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिले…