रात को अक्सर

रात को अक्सर ठीक से नींद ही नहीं आती, घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ।

हवा के साथ

हवा के साथ बहने का मज़ा लेते हैं वो अक्सर, हवा का रुख़ बदलने का हुनर जिनको नहीं आता।

क्या इल्जा़म लगाओगे

क्या इल्जा़म लगाओगे मेरी आशिकी पर, हम तो सांस भी तुम्हारी यादों से पूछ कर लेते है..

किसी मासूम बच्चे के

किसी मासूम बच्चे के तबस्सुम में उतर जाओ,,,, तो शायद ये समझ पाओ, की ख़ुदा एैसा भी होता है

बात मिज़ाज़ो की है

बात मिज़ाज़ो की है कि गुल कुछ नही कहते वरना कभी कांटों को मसलकर दिखलाइये..

कब गुरुर बढ जाए ..

आईने का जाने कब गुरुर बढ जाए … पत्थरों से भी दोस्ती निभाना जरुरी है..

उम्र का बढ़ना

उम्र का बढ़ना तो दस्तूर- ए जहाँ है मगर महसूस ना करो तो उम्र बढ़ती कहाँ है ?

मेरे खेत की मिट्टी

मेरे खेत की मिट्टी से पलता है तेरे शहर का पेट मेरा नादान गाँव अब भी उलझा है कर्ज की किश्तों में..

कितनीं मोहब्बत हैं

कितनीं मोहब्बत हैं तुमसे कोई सफाई नहीं देंगें… साये की तरह साथ रहेंगे पर दिखाई नहीं देंगें……!!!!!!

ऐसा तो कभी हुआ नहीं

ऐसा तो कभी हुआ नहीं, गले भी मिले, और छुआ नहीं!

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