ज़िंदगी जिनसे हो

ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद

उसे भरम है

उसे भरम है अभी के वो नादान जीतेगा। जो सच्चा होगा वही मेरी जान जीतेगा । तू डरता क्यूँ है इन झूठ के सौदागरों से । जंग जब भी होगी दावा है ईमान जीतेगा।।

हम मरेगें भी तो

हम मरेगें भी तो उस अंदाज से, जिस अंदाज में लोग जीने को भी तरसते है।

जो कुरेद कर

जो कुरेद कर दिवार पे तुम्हारा नाम लिखा था, ज़िन्दगी की सबसे लम्बी कहानी वही तो थी।

कुछ तो सोचा होगा

कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तेरे-मेरे रिश्ते पर… वरना इतनी बड़ी दुनिया में तुझसे ही बात क्यों होती….

कुछ कम है।

मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।

अख़बार का भी

अख़बार का भी अजीब खेल है, सुबह अमीरों की चाय का मजा बढाती है, रात में गरीबों के खाने की थाली बन जाती है।

गर आदमी की नियत

गर आदमी की नियत बुरी है समझो , जमाने में हैसियत उसकी बहुत बड़ी है

देख कर मुझे

देख कर मुझे गुम हो गई ” मुझ में परछाई ने मेरे अँधेरा देख लिया

मैं ख्वाहिश बन जाऊँ

मैं ख्वाहिश बन जाऊँ और तू रूह की तलब बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर.

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