काश तुम कभी

काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो, डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…

मुझ से ज्यादा

मुझ से ज्यादा शायद मेरी आँखे चाहती है तुम्हें,जब भी तुझे सोचता हूँ तो ये भर आती है..

उनको डर है

उनको डर है कि हम उन के लिए जान नही दे सकते,और मुझे खोफ़ है कि वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद..

आया था एक शख्स

आया था एक शख्स मेरा दर्द बाँटने…. रुखसत हुआ तो अपना भी गम दे गया मुझे….

कतरा कतरा मेरे

कतरा कतरा मेरे हलक को तर करती है… मेरी रग रग में तेरी मुहब्बत सफर करती है…

दर्द है दिल में

दर्द है दिल में पर इस का एहसास नही होता,रोता है दिल जब वो पास नहीं होते,बर्बाद हो गए हम उन के प्यार में, और वो कहते है इस तरह प्यार नही होता।

एक तेरे बगेर ही

एक तेरे बगेर ही ना गुजरेगी ये जिंदगी बता मै क्या करू सारे ज़माने की मोहब्बत ले कर।

मिला कर ख़ाक में

मिला कर ख़ाक में मुझ को वो इस अंदाज़ में बोले। मिट्टी का खिलोना था कहाँ रखने के क़ाबिल था।

लौट जाती है

लौट जाती है , हर शिकायत लबों पे आ कर मेरी जब बडे मासूम से वो कहतें हैं ,ऐसा मत कहो ना !!

तुमसे दूर कैसे रह पाते

हम तुमसे दूर कैसे रह पाते, दिल से तुमको कैसे भूल पाते, काश तुम आईने में बसे होते, ख़ुद को देखते तो तुम नज़र आते….

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