तारीफ़ करें खुदा

औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में। खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में। और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में। गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।

मुझे भी कुछ

मुझे भी कुछ गहरा सा..!! . . ऐ बेवफा . . जिसे कोई भी पढे., समझ बस तुम सको..!!

जिन्दगी की जेब

बार बार रफू करता रहता हूँ जिन्दगी की जेब… कम्बखत फिर भी निकल जाते हैं खुशियों के कुछ लम्हें… ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख़्वाहिशों का है….. ना तो किसी को गम चाहिए और, ना ही किसी को कम चाहिए….!!!

सबसे दूर हो गये

टूटे हुए काँच की तरह चकना चूर हो गए..! किसी को लग ना जायें इसलिए सबसे दूर हो गये.!

मांगो तो अपने रब

मांगो तो अपने रब से मांगो , जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत , लेकिन दुनिया से हरगिज मत मांगना , क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी ..

रगों में बहने का

मौका दीजिये अपने खून को किसी की रगों में बहने का.. ये लाजवाब तरीका है कई जिस्मों में ज़िंदा रहने का.!!

एक नफरत ही हैं

एक नफरत ही हैं जिसे, दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं. वरना चाहत का यकीन दिलाने में, तो जिन्दगी बीत जाती हैं..

बहुत ख़ास थे कभी

बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी; मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है…

माला की तारीफ़ तो

माला की तारीफ़ तो करते हैं सब, क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं.. काबिले तारीफ़ धागा है जनाब जिसने सब को जोड़ रखा है.

Taqdeer se har

Taqdeer se har shaks ne hissa paaya.. Mere hisse me tere saath ki hasraat reh gaai..!

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