परिंदे उनकी छत पर

परिंदे उनकी छत पर बैठे हैं बिन दाने के बिन पानी के हमने तो बड़े चर्चे सुने थे उनकी मेहरबानी के….

जब हम लिखेंगे

जब हम लिखेंगे दास्तान-ए-जिदंगी तो, सबसे अहम किरदार तुम्हारा ही होगा..

दो लफ्ज़ उनको

दो लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए, हज़ारों लफ्ज़ लिखे ज़माने के लिए

ना जाने क्यों

ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से ‘वो लोग ‘ ,जिन्हें जिन्दगी समझ कर हम कभी खोना नही चाहते…..!!!!!

हमारे दिल में भी

हमारे दिल में भी झांको अगर मिले फुरसत… हम अपने चेहरे से इतने नज़र नहीं आते…

खुद से भी मिल न सको

खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना…!

न जाने किस हुनर को

न जाने किस हुनर को शायरी कहते होगेँ लोग… हम तो वो लिख़ रहे हैँ जो कह ना सके उससे…

इश्क के समुन्दर मे

इश्क के समुन्दर मे वही उतरे, जिसे किश्तों में मरने की सज़ा मंजूर हो…!!

तुझे महसूस करने को

तड़प रही है सांसे तुझे महसूस करने को…फिजा में खुशबू बनकर बिखर जाओ तो कुछ बात बने |

ज़िन्दगी भी खूबसूरत चीज़ है

ज़िन्दगी भी खूबसूरत चीज़ है बस किसी से इश्क़ होना चाहिए …..!!

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