तकिये के लिहाफ में

तकिये के लिहाफ में छुपाकर रखी हैं तेरी यादें, जब भी तेरी याद आती है मुँह छुपा लेता हूँ|

उम्र भर ख़्वाबों की

उम्र भर ख़्वाबों की मंज़िल का सफ़र जारी रहा, ज़िंदगी भर तजरबों के ज़ख़्म काम आते रहे…

इश्क की हिमाकत

इश्क की हिमाकत जो उनसे कर बैठे यूँ ही हम खुदसे बिछड़ बैठे !!!

कोशिश करता हूँ

कोशिश करता हूँ लिखने की,तुम्हारी मुस्कान लिखी नहीं जाती..। मैं तो अदना सा शायर हूँ, ये दास्तान लिखी नहीं जाती..।

लोग आते हैं

लोग आते हैं मेरे घर की दरारें देखने, मुझ से मिलने के अक्सर बहाने कर के…!!

यूँ ना खींच मुझे

यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के, ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले .!

आशियाने बनाए भी

आशियाने बनाए भी तो कहाँ बनाए जनाब…. ज़मीने महँगी होती जा रही है और दिल में जगह लोग देते नहीं है|

लाजवाब कर दिया

लाजवाब कर दिया करते हैं वो मुझे अक्सर.. जब तैयार होकर कहते हैं; कि कुछ कहो अब मेरी तारीफ़ में !

हज़ार दुख मुझे देना

हज़ार दुख मुझे देना, मगर ख़्याल रहे मेरे ख़ुदा ! मेरा हौंसला बहाल रहे ..।

हाथ गर खाली हो

हाथ गर खाली हो, तो ये ध्यान रखना … घर जो लौटो, तो होठों पर मुस्कान रखना ..

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