ज़िन्दगी की दुआयें

शोला था जल-बुझा हूँ हवायें मुझे न दो मैं कब का जा चुका हूँ सदायें मुझे न दो जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया अब तुम तो ज़िन्दगी की दुआयें मुझे न दो ऐसा कहीं न हो के पलटकर न आ सकूँ हर बार दूर जा के सदायें मुझे न दो कब… Continue reading ज़िन्दगी की दुआयें

हमारी परवाह करते हैं

हम उन्हे रूलाते हैं, जो हमारी परवाह करते हैं…(माता पिता) हम उनके लिए रोते हैं, जो हमारी परवाह नहीं करते…(औलाद ) और, हम उनकी परवाह करते हैं, जो हमारे लिए कभी नहीं रोयेगें !…(समाज)

मुझे पढने वाला

मुझे पढने वाला पढ़े भी क्या मुझे लिखने वाला लिखे भी क्या जहाँ नाम मेरा लिखा गया वहां रोशनाई उलट गई

अपने ने मारा था..!!

पत्थर तो बहुत मारे थे लोगों ने मुझे …! लेकिन जो दिल पर आ के लगा वो किसी अपने ने मारा था..!!

हकीक़त कहो तो

हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है .. शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है… कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम …………. और एक वो है ….जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है………………

जी भर गया है

जी भर गया है तो बता दो क्योंकी हमें इनकार पसंद है इंतजार नही…॥

पांव सूखे हुए

पांव सूखे हुए पत्तों पे अदब से रखना धूप में मांगी थी तुमने पनाह इनसे कभी

बाज़ार-ए-वफ़ा

नीलाम कुछ इस कदर हुए, बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज.. बोली लगाने वाले भी वो ही थे, जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे..

हताशा मे डूबी

हताशा मे डूबी माँ के आंसू जब औलाद पोंछती है..!! हर कर्ज अदा हो जाता है..ममता धन्य हो जाती है..!!

ज़ख्म कैसे भी हों

ज़ख्म कैसे भी हों भर जाते हैं रफ़्ता रफ़्ता ज़िंदगी ठोकरें खा- खा के, संभलती रहती है…

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