इश्क था इसलिए

इश्क था इसलिए सिर्फ तुझसे किया, फ़रेब होता तो सबसे किया होता|

है होंठ उसके

है होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे..,. ऊँगली रखो तो आगे पढने को जी करता है.,..!!!

परिन्दों की फ़ितरत से

परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में। ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया॥

अजीब से जज़्बात

इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें, जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…

उसने पूछा की

उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो, हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन

तुम नाराज हो जाओ

तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ, पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ

इजाज़त हो तो

इजाज़त हो तो कुछ अर्ज करूं… तुम खेल चुके हो तो… मेरा दिल वापस कर दो न अब…

न तो धन छुपता है

न तो धन छुपता है न मोहब्बत , जाहिर हो ही जाता है छुपाते – छुपाते

लम्हा सा बना दे

लम्हा सा बना दे मुझे.. रहूँ गुज़र के भी साथ उसके

तुम्हारी नाराजगी बहुत

तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है… मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !

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