जीने का ज्यादा तजुर्बा

मुझे ज़िन्दगी जीने का ज्यादा तजुर्बा तो नहीं हैं पर सुना है लोग सादगी से जीने नहीं देते|

किसी के नहीं होते

आसमां पे ठिकाने किसी के नहीं होते, जो ज़मीं के नहीं होते, वो कहीं के नहीं होते..!! ये बुलंदियाँ किस काम की दोस्तों… की इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें….

बहुत याद आते है

बहुत याद आते है वो पल ……. जिसमे आप हमारे और हम तुम्हारे थे…

अंजामे वफ़ा ये है

अंजामे वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की, मरने की दुआ मांगी, जीने की सज़ा पाई..

ये भी अच्छा है

ये भी अच्छा है कि हम किसी को अच्छे नही लगते … कम से कम कोई रोएगा तो नही मेरे मरने पर ..

आखिर कब तक

आखिर कब तक इन्तजार करूं मैं तुम्हारा , मैं आशिक हूँ ,धरने पर बैठा कोई सुनार नही |

दिखा के मदभरी आंखें

दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने, हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं

घर के चूल्हे को

घर के चूल्हे को भरम है कि वो पालता है हमे…!! प्यार तो माँ की हथेली से चुराती है रोटियाँ…….!

तेरा बिछड़ना है

तेरा बिछड़ना है हौसला मेरे लिए.. ताउम्र याद दिलाएगा कुछ कमी थी मुझमे

कई बार मैंने देखा है

कई बार मैंने देखा है खुद को तुम में जिसे तुमने पुकारा नहीं जिद्द में वो मैं था है ऐतबार जिसे अब भी मुझ में वो इंतज़ार तुम हो..

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