ज़ायका मोहब्बत का..

किसी ने “ज़हर” कहा है, किसी ने “शहद” कहा ……. . कोई समझ नहीं पाता है,,, ज़ायका मोहब्बत का……..

आँखों मैं कुछ ऐसा

तेरा अक्स गढ़ गया है …….आँखों मैं कुछ ऐसा…. सामने खुदा भी हो….. तो दिखता है हूबहू तेरे जैसा…!!!

कम ना रह जाये

हमारी मोहब्बत कही कम ना रह जाये.. देखो फरवरी आयी है इस बरस एक दिन ज्यादा लेकर

तुझे पाने में

बहुत नाकाम शख्स हूं मैं, पहले तुझे पाने में नाकाम रहा , फिर तुझे भुलाने में…

गिले शिकवे भुलाकर

तमाम गिले शिकवे भुलाकर सोया करो…यारों….सुना है… मौत किसी को….मुलाक़ात का मौका नही देती

हारे हुए रिश्तों

हारे हुए रिश्तों की अक्सर यही हालत रह जाती हैं लोगों की मोहब्बत रहती नहीं पर आदत रह जाती हैं।. तनहाई का सौदा वैसे इतना भी घाटे में नहीं चलता बेचैनी नहीं बसती विराने में, बस राहत रह जाती हैं।. बदलते हुए हालातों से समझौता तो हो जाता हैं परकोई चाहें या ना चाहें, चुपके… Continue reading हारे हुए रिश्तों

कभी न ख़त्म किया

कभी न ख़त्म किया रौशनी का सफ़र मैंने , … चिराग बुझ गए तो दिल को जलाया मैंने ।

उसे पाने के लिए

किसी ने मुझसे पूछा के तुम उसे पाने के लिए किस हद तक जा सकते हो……? मैंने मुस्कुरा के कहा अगर हदे पार करनी होती, तो उसे कब का पा लिया होता..

गुल्ल्क का शोर

भरे हुए गुल्ल्क का शोर.. छीन लिया है नोंटों ने…

भुला के मुझको

भुला के मुझको, अगर आप भी हो सलामत,… तो भुला के मुझको, सम्भालना मुझे भी आता हैं !

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