फिर फिक्र क्यों

कितनी खूबसूरत बात.. अगर भगवान नहीं हैं तो जिक्र क्यों. ..? और अगर भगवान हैं तो फिर फिक्र क्यों??

किस बात पे

किस बात पे रूठा है पता चले तो मनाऊं उसे वो रूठ तो जाता है लेकिन शिकायत नहीं करता.

ज़िन्दगी बहुत भगाती हैं

दौड़ने दो खुले मैदानों में नन्हे कदमो को ज़िन्दगी बहुत भगाती हैं, बचपन गुजरने के बाद…

कहाँ मिलता है

कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला …. जो भी मिलता है, समझा के चला जाता है |

निगाहें फेर कर

निगाहें फेर कर जो हमसे दूर बैठे हैं इधर भी देखिये ज़रा हम बेक़सूर बैठे हैं.!!!!

ना जिद कर

ना जिद कर, अपने हद में रहा कर ए-दिल, कुछ रिश्तों की उमर ही छोटी होती हैं..

इज़हार ए इश्क

लो जी कर दिया ‘इज़हार ए इश्क’ हमने टेलीफोन पर लाख रुपये की बात थी दो रुपये में हो गई

खुशकिस्मत हैं वो लोग

बहुत खुशकिस्मत हैं वो लोग यकीन मानो , जो मांगते भी नही,रोते भी नही और ,मोहब्बत पा लेते हैं ॥

तारीफ किसी की

तारीफ किसी की करने के लिए जिगर चाहिये, बुराई तो बिना हुनर के किसी की भी कर सकते हैं…

सांसों के सिलसिले

सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम… जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग !!!

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