दुश्मनी से मिलेगा क्या तुम को दोस्त बन कर मिला करो हमसे
Category: शर्म शायरी
दुख जमा कर सकते है।
“माँ” एक ऐसी ‘बैंक’ है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है। और “पापा” एक ऐसा ‘क्रेडिट कार्ड’ है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है॥
काश तुम भी
काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह. ना वक़्त देखो, ना बहाना, बस चले आओ…
उसके इंतजार में हूँ
मुद्दतों से उसके इंतजार में हुँ, कही पढ़ लिया था कि सच्ची मोहब्बत लौटकर आती है
नज़र आने लगी
ज़िस्म की दरारों से रूह नज़र आने लगी बहुत अंदर तक तोड़ गया इश्क़ तेरा
तेरे आने से पहले
दो ही गुज़रे हैं वक़्त कठीन एक तेरे आने से पहले एक तीरे जाने के बाद
किसी और का
क्या मिला तुझें मेरा ना होकर तु रह भी नही पायेगा पूरा,किसी और का होकर
जीना सीख लिया
राज की बात दर्द जब मीठा लगने लगे तब समझ जाइये… कि आपने जीना सीख लिया है..
राज ए उल्फत
राज ए उल्फत का तजूरबा तो हो तेरा दिल मुझपे आशियाना तो हो चांद निकलेगा रोज मेरे घर में हुस्न जैसा कोई आईना तो हो |
मद भरी नज़रें
सुना है मद भरी नज़रें तेरी पीने नहीं देती इज़ाज़त हो तो हम नज़रे मिला के देख लेते हैं.!!