बद्दुआये नहीं देता फकत इतना ही कहता हूँ.. के जिस पर आ जाएँ दिल तेरा वो बेवफ़ा निकले..
Category: शर्म शायरी
वहाँ तक तो साथ चलो
वहाँ तक तो साथ चलो ,जहाँ तक साथ मुमकिन है , जहाँ हालात बदल जाएँ , वहाँ तुम भी बदल जाना …
आँधियों जाओ अब करो
आँधियों जाओ अब करो आराम, हम खुद अपना दिया बुझा बैठे
पहले ढंग से
पहले ढंग से तबाह तो हो ले….. मुफ़्त में उसे भूल जाएँ क्या …?
चेहरे और पोशाक
चेहरे और पोशाक से आँकती है दुनिया, रूह में उतर कर कब झाँकती है दुनिया।
दिल रोता है
दिल रोता है चेहरा हँसता रहता है कैसा कैसा फ़र्ज़ निभाना होता है..
जो गुज़ारी न जा सकी
जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
ज़िंदगी जिनसे हो
ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद
उसे भरम है
उसे भरम है अभी के वो नादान जीतेगा। जो सच्चा होगा वही मेरी जान जीतेगा । तू डरता क्यूँ है इन झूठ के सौदागरों से । जंग जब भी होगी दावा है ईमान जीतेगा।।
हम मरेगें भी तो
हम मरेगें भी तो उस अंदाज से, जिस अंदाज में लोग जीने को भी तरसते है।