कागज़ की कतरनों को भी कहते हैं लोग फूल रंगों का एतबार है क्या सूंघ के भी देख|
Category: लव शायरी
हम वहाँ हैं
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी कुछ हमारी ख़बर नहीं आती|
जान जब प्यारी थी
जान जब प्यारी थी, तब दुश्मन हज़ारों थे, अब मरने का शौक है, तो क़ातिल नहीं मिलते।
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना “गांव” छोड़ने को !! वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।
मसरूफियत में आती है
मसरूफियत में आती है बेहद तुम्हारी याद….!!और फुरसत में तेरी याद से फुरसत नहीं मिलती…..!!
मोहब्बत का शोक
मोहब्बत का शोक ना रखिए साहिब, इसमें साँस आती नहीं और जान जाती नहीं…
शायर होना भी
शायर होना भी कहाँ आसान है, बस कुछ लफ़जों मे दिल का अरमान है, कभी तेरे ख्याल से महक जाती है मेरी गज़ल, कभी हर शब्द परेशान है….
हमने सोचा था
हमने सोचा था दो चार दिन की बात होगी पर तेरी यादों से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया…
एक नींद है
एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आती, और एक जमीर है जो हर वक़्त सोया रहता है।
सबकुछ निभा गया
वो तो मैं था कि पागल सबकुछ निभा गया, ज़िंदगी भर वर्ना मुह्ब्बत कौन करता है..