लत एसी लगी है

लत एसी लगी है की तेरा नशा मुझसे छोड़ा नहीं जाता, अब तो हकीमों का कहना है की एक बूंद इश्क भी जानलेवा होगा !!

अजीब पहेलियां है

अजीब पहेलियां है हाथो की लकीरों में, सफर लिखा है मगर हमसफर नहीं लिखा !!

खफ़ा रहने का शौक

खफ़ा रहने का शौक भी पूरा कर लो तुम, लगता है तुम्हें हम ज़िन्दा अच्छे नहीं लगते !!

उसकी ज़िंदगी में

उसकी ज़िंदगी में थोड़ी सी जगह माँगी थी मुसाफिरों की तरह, उसने तन्हाईयों का एक शहर मेरे नाम कर दिया।

कांच के टुकड़े

कांच के टुकड़े बनकर बिखर गयी है ज़िन्दगी मेरी… किसी ने समेटा ही नहीं… हाथ ज़ख़्मी होने के डर से…

होठों की हँसी को न समझ

होठों की हँसी को न समझ हकीकत-ए-जिन्दगी दिल में उतर कर देख कितने उदास हैं हम उनके बिन…!!!

ना हमारी चाहत

ना हमारी चाहत इतनी सस्ती है ना ही नफरत, हम तो ख़ुदा के वो बंदे है जो बस दुआओं में ही मिलते है !!

कितना खुशनुमा होगा

कितना खुशनुमा होगा वो मेरी मौत का मंजर भी, जब ठुकराने वाले मुझे फिर से पाने के लिये आंसू बहायेंगे !!

मैं अभी तक समझ नहीं पाया

मैं अभी तक समझ नहीं पाया तेरे इन फैसलो को ऐ खुदा, उस के हक़दार हम नहीं या हमारी दुआओ में दम नहीं !!

होती है मुझ पर

होती है मुझ पर रोज़ तेरी रहमतों के रंगों की बारिश… मैं कैसे कह दूँ…? होली साल में एक बार आती है…?

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