सुंदरता हो न हो सादगी होनी चाहिये. खुशबू हो न हो महक होनी चाहिये. रिश्ता हो न हो बंदगी होनी चाहिये. मुलाकात हो न हो बात होनी चाहिये. यु तो हर कोई उलझा है अपनी उलझनों मे सुलझन हो न हो सुलझाने कि कोशिश होनी चाहिये।
Category: याद
जरुरतों ने कुचल डाला है
जरुरतों ने कुचल डाला है मासूमियत को साहब यूं.. वक्त से पहले ही बचपन रूठ गया |
ख़ुद से उलझना है
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा मुद्दतें बीत गईं इक ख़्वाब सुहाना… Continue reading ख़ुद से उलझना है
मुझे अपने लफ़्जो से
मुझे अपने लफ़्जो से आज भी शिकायत है, ये उस वक़त चुप हो गये जब इन्हें बोलना था…
ज़रा ज़िद्दी हूँ
ज़रा ज़िद्दी हूँ ख़्वाब देखने से बाज़ नहीं आता, इतनी सी बात पर हकीक़तें रूठ जाती है मुझसे…
फासला भी ज़रूरी है
फासला भी ज़रूरी है चिराग रोशन करते वक्त तजुर्बा यह हाथ आया हाथ जल जाने के बाद|
अजब चिराग हूँ
अजब चिराग हूँ दिन रात जलता रहता हूँ थक गया हूँ हवा से कहो बुझाये मुझे|
कसम ले लो
कसम ले लो जो महफ़िल में तुम्हे दानिश्ता देखा हो नजर आखिर नजर है बेइरादा उठ गयी होगी ……
चाहते थे जिन्हे
चाहते थे जिन्हे उनका दिल बदल गया समन्दर तो वही गहरा हे पर साहिल बदल गया कतल ऐसा हुआ किस्तो मे मेरा, कभी बदला खंजर तो कभी कातिल बदल गया…
हमने तो बेवफा के
हमने तो बेवफा के भी दिल से वफ़ा किया इसी सादगी को देखकर सबने दगा किया मेरी टिशनगी तो पी गयी हर जख्म के आँसू गर्दिश मे आके हमने अपना घर बना लिया |