जहाँ हमारा स्वार्थ

जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता हे, वही से हमारी इंसानियत आरम्भ होती हे..

बिन धागे की सुई

बिन धागे की सुई सी बन गई है ये ज़िंदगी , सिलती कुछ नहीं… बस चुभती चली जा रही है…

आशिक था एक

आशिक था एक मेरे अंदर, कुछ साल पहले गुज़र गया..!! अब कोई शायर सा है, अजीब अजीब सी बातें करता है…

जो आसानी से

जो आसानी से मिले वो है धोखा; जो मुश्किल से मिले वो है इज्ज़त; जो दिल से मिले वो है प्यार। और जो नसीब से मिले वो हैं आप।

नजाकत तो देखिये

नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा, चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा !!

चेहरे पर जो

चेहरे पर जो अपने दोहरी नकाब रखता हैं, खुदा उसकी चलाकियों का हिसाब रखता हैं

जमीर ही आँख नही मिलाता

जमीर ही आँख नही मिलाता वरना, चेहरा तोआईने पर टूट पड़ता है….

उम्मीद से कम

उम्मीद से कम चश्मे खरीदार में आए हम लोग ज़रा देर से बाजार में आए..

सवाल ये नहीं

सवाल ये नहीं रफ्तार किसकी कितनी है … सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है…!!

शायराना चाहता हूँ…

आखरी हिचकी तेरे पहलू में आये मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ…

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