कौन समझ पाया हे आज तक हमे….???? हम अपने हादशो के इकलौते गवाह है.!!
Category: गज़ल
जनाजा उठा है
जनाजा उठा है आज कसमों का मेरी, एक कंधा तो तेरे वादों का भी होना चाहिए !!
भिगों कर रख दिया
भिगों कर रख दिया तुम्हारी यादों ने इतना, कि बारिश में भीगने का अब मन नहीं करता…
मोहब्बत को खोकर भी
अपनी मोहब्बत को खोकर भी जो संभल जाते है, बहोत मजबूत हो जाते है वो लोग जिन्दगी में !!
मुझसे मोहब्बत में
मुझसे मोहब्बत में सलाह मांगते है लोग… तेरा इश्क़ मुझे ये तजुर्बा दे गया…
अगर ज़िंदगी मे
अगर ज़िंदगी मे कुछ पाना हो तो,अपने तरीके बदलो इरादे नही।
हवा चुरा ले
हवा चुरा ले गयी थी मेरी ग़ज़लों की किताब.. देखो, आसमां पढ़ के रो रहा है. और नासमझ ज़माना खुश है कि बारिश हो रही है..!
अपने लफ़्ज़ों में
ताकत अपने लफ़्ज़ों में डालों आवाज़ में नहीं.. क्यूँकि फसल बारिश से उगती है बाढ़ से नहीं..
लब ये ख़ामोश रहेंगे..
लब ये ख़ामोश रहेंगे… ये तो वादा है मेरा…! कुछ अगर कह दें निगाहें… तो ख़फा मत होना…
मयखाने की इज्जत
मयखाने की इज्जत का सवाल था, बाहर निकले तो हम भी थोडा लड़खड़ा के चल दिए….