देखे जो बुरे दिन तो ये बात समझ आई, इस दौर में यारों का औकात से रिश्ता है।
Category: गज़ल
हमारी महोबत ऐसी है…
हमारी महोबत ऐसी है….. आपके ना होते हुऐ भी आपसे ही रहेगी…
उसकी आँखों में
उसकी आँखों में नज़र आता है सारा जहां मुझ को….. अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा..
इस दुनिया के
इस दुनिया के सभी लोग आपके लिये बहोत अच्छे है, बस शर्त इतनी सी है की आपके दिन अच्छे होने चाहिये !!
सुकून की कमी
जब तुम्हे सुकून की कमी महसूस हो तो अपने रब से तौबा किया करो…….. क्योकि इंसान के गुनाह ही है जो उसे बैचैन रखते है
ग़ुलाम हूँ अपने घर की
ग़ुलाम हूँ अपने घर की तहज़ीब का वरना लोगों को औकात दिखाने का हूनर भी रखता हूँ|
मैने अपने साये को
मैने अपने साये को भी मार डाला है मेरी तन्हाई अब मुक्कमल है।
राख बेशक हूँ
राख बेशक हूँ पर मुझमे हरकत है अभी भी, जिसको जलने की तमन्ना हो हवा दे मुझको..
उम्मीदों की तरह
मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ़ मगर, आज तक तेरे खतों से तेरी खुश्बु ना गई।
अँधेरे चारों तरफ़
अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरज परिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ… Continue reading अँधेरे चारों तरफ़