जिसकी तलवार की छनक से अकबर का दिल घबराता था वो अजर अमर वो शूरवीर वो महाराणा कहला ता था फीका पड़ता था तेज सूरज का , जब माथा ऊचा करता था , थी तुझमे कोई बात राणा , अकबर भी तुझसे ड रता था
Category: क्रन्तिकारी शायरी
जीभ में हड्डिया नहीं
जीभ में हड्डिया नहीं होती फिर भी जीभ हड्डियां तुड़वाने की “ताक़त” रखती हैं..!!
मौत ऐसी होनी चाहिए
पैदा तो सभी मरने के लिये ही होते है पर, मौत ऐसी होनी चाहिए जिस पर जमाना अफसोश करे.
ना किसी से ईर्ष्या
ना किसी से ईर्ष्या, ना किसी से कोई होड़, मेरी अपनी मंजीले, मेरी अपनी दौड़ !.
आवाज को नहीं
आवाज को नहीं , अपने अलफ़ाज़ को ले जाओ बुलंदी पर ।।। बादलों की गरज नहीं , बारिश की बौछार फूल खिलाती है ।।।
देश कुछ इस तरह भी बदलने लगा है
देश कुछ इस तरह भी बदलने लगा है कि…. लोग गाय चराने में “शर्म”और… कुत्ता घुमाने में “गर्व”करने लगे हैं…!!