हद से बढ़ जाये ताल्लुक तो ग़म मिलते है, हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते है !!
Category: हिंदी
पेशानियों पे लिखे
पेशानियों पे लिखे मुक़द्दर नहीं मिले दस्तार कहाँ मिलेंगे जहाँ सर नहीं मिले
वक़्त किसी का ग़ुलाम
लोग कहते हैं कि वक़्त किसी का ग़ुलाम नहीं होता,. फिर तेरी मुस्कराहट पे वक़्त क्यूँ थम सा जाता है…
कुछ लोग मुझे
कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे.. सच कहूँ तो वो सिर्फ कहा करते थे.!!
मुझे चलना नही आता
आदमी हूँ , इसलिये जुदा हूँ , कठपुतलियों से … उंगलियों के इशारों में , मुझे चलना नही आता ..!!
इतना गुरुर खुद पर
मत कर इतना गुरुर खुद पर, हमने चाहना छोड़ दिया,तो लोग पूछना भी छोड़ देंगे
बहुत अंदर तक
बहुत अंदर तक जला देती है,वो शिकायतें जो बयाँ नही होती…
क्यों सताते हो
क्यों सताते हो मुझे यूँ दुरियाँ बढ़ाकर, क्या तुम्हे मालूम नहीं अधूरी हो जाती है तुझ बिन जिन्दगी
अब जीना है
बहुत जी लिया उनके लिये जो मेरे सबकुछ थे…!अब जीना है उनके लिये जिनके लिये मै सबकुछ हूं …!!
मेह्सूस ना हुआ
ख़ूबसूरत था इस क़दर के मेह्सूस ना हुआ.. कैसे, कहा और कब मेरा बचपन चला गया