दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है! दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है! आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ! वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है!
Category: शर्म शायरी
हर दिल से खेलती है
वो बेईमान नेता सी है, हर दिल से खेलती है, मै भोली जनता सा हूँ, हर बार उसीको चुनता हुं!!
एक बार महबूब
सालो साल बातचीत से उतना सुकून नही मिलता, जितना एक बार महबूब के गले लग कर मिलता है….!!
आँख प्यासी है
आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे, इस जज़ीरे को भी समन्दर दे| अपना चेहरा तलाश करना है, गर नहीं आइना तो पत्थर दे|
इश्क़ वो नहीं
इश्क़ वो नहीं जो तुझे मेरा कर दे…. इश्क़ वो है जो तुझे किसी और का ना होने दे !!
सच्चे इश्क में
सच्चे इश्क में अल्फाज़ से ज्यादा एहसास की एहमियत होती है।
तेरे इश्क ने
तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को; ना कोई काम करता है, ना कोई बात सुनता है..”
ज़ख़्मों के बावजूद
ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख…. तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया….!!
शोहरत की आरज़ू
शोहरत की आरज़ू ने किया बेवतन हमें, इतनी बढ़ी ग़रज़ कि उसूलों से हट गए।
कुछ अलग ही
कुछ अलग ही करना है तो वफा करो दोस्त, वरना मजबूरी का नाम ले कर बेवफाई तो सभी करते है !