अलग दुनिया से हटकर भी कोई दुनिया है मुझमें, फ़क़त रहमत है उसकी और क्या मेरा है मुझमें. मैं अपनी मौज में बहता रहा हूँ सूख कर भी, ख़ुदा ही जानता है कौनसा दरिया है मुझमें. इमारत तो बड़ी है पर कहाँ इसमें रहूँ मैं, न हो जिसमें घुटन वो कौनसा कमरा है मुझमें. दिलासों… Continue reading मेरा है मुझमें
Category: वक़्त शायरी
इतना तो किसी ने
इतना तो किसी ने चाहा भी न होगा, जितना मैने सिर्फ सोचा है……
पूरी दुनिया नफ़रतों
पूरी दुनिया नफ़रतों में जल रही है.. इसीलिए इस बार ठण्ड कम लग रही है।
Koi muskurakar rakh
Koi muskurakar rakh gaya meri kabr’a par mohabbat ka phool; aaj ishq ki aankhon mein khumaar utar aaya hai
ए ज़िन्दगी तेरे
ए ज़िन्दगी तेरे जज़्बे को सलाम, पता है कि मंज़िल मौत है, फिर भी दौड़ रही है…!
जंजीर से डर लगता
उल्फत की जंजीर से डर लगता हैं, कुछ अपनी ही तकदीर से डर लगता हैं, जो जुदा करते हैं, किसी को किसी से, हाथ की बस उसी लकीर से डर लगता हैं..
मासूमियत को मार ङाला
मेरी समझदारियोँ ने मेरी मासूमियत को मार ङाला… – तुझे अब भी शिकायत है कि मैँ तुझे समझता नहीँ…!!!
सही होना चाहिए
बन्दा खुद की नज़र में सही होना चाहिए… दुनिया तो भगवान से भी दुखी है |
Tu wo zaalim
Tu wo zaalim hai jo dil mein rehkar bhi mera na ban saka aur dil wo kaafir, jo mujhme rehkar bhi tera ho gaya
सज़ा-ए-मौत
कुछ लोग सिखाते है मुझे प्यार के क़ायदे कानून, नही जानते वो इस गुनाह में हम सज़ा-ए-मौत के मुज़रिम हैं…….