मसला एक यह भी है जालिम दुनिया का.., कोई अगर अच्छा भी है, तो अच्छा क्यूँ है…!
Category: वक़्त शायरी
कभी तशरीफ तो
आप आते हैं कभी तारीख, महीना,कभी साल की तरह कभी तशरीफ तो हो महफ़िल में एक इंसान की तरह।।
शायरी का हुनर
यूँ ही नही आता ये शेर-ओ-शायरी का हुनर, कुछ खुशियाँ गिरवी रखकर जिंदगी से दर्द खरीदा है।
Likhi Ja Chuki Hai ….
Kismat Pehle Hi Likhi Ja Chuki Hai …. to Koshish Karne Se Kya Milega?
दर्द ऐ दिल
बस एक बार इस दर्द ऐ दिल को खत्म कर दो… . . “मैं वादा करता हूँ फिर कभी मोहब्बत नहीं करूंगा…
वाह रे इश्क़
वाह रे इश्क़ तेरी मासूमियत का जवाव नहीं हँसा हँसा कर करता है बर्बाद तू मासूम लोगो को
सिमट जाओ मुझमे
सुनो…..!! कुछ ऐसे सिमट जाओ मुझमे… जैसे ब्लैक एंड व्हाईट टीवी के एंटीने से पतंग उलझी रहती है…..!!
Nazar aur Naseeb
Nazar aur Naseeb ka Kuch Aisa Ittefaq hai ki……. Nazar Ko Aksar Wahi Cheez Pasand Aati Hai Jo Naseeb Mein Nahi Hoti !! aur Naseeb Me Likhi Cheez Aksar Nazar Nahi Aati…
मत पूँछ मुझसे
हैं दफ्न मुझमें मेरी कितनी रौनकें, मत पूँछ मुझसे….!! उजड़ – उजड़ के जो बसता रहा, वो शहर हूँ मैं…
आज लफ्जों को
आज लफ्जों को मैने शाम को पीने पे बुलाया है बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है