भूलना भुलाना दिमाग़ का

भूलना भुलाना दिमाग़ का काम है साहिब…. आप दिल में रहते हो….बेफिक्र हो जाओ….!!

निभाते नही है..

निभाते नही है..लोग आजकल..! वरना. इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..

एक अरसा गुजर गया

एक अरसा गुजर गया तुम बिन फिर तेरी यादे क्यों नहीं गुजर जाती इस दिल से

हर शख्श नहीं होता

हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह, हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..

उस को भी हम से

उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं, इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।

किसी के अंदर

किसी के अंदर जिंदा रहने की ख्वाहिश में … हम अपने अंदर मर जाते हैं …

आजकल के हर आशिक की

आजकल के हर आशिक की अब तो यही कहानी है, मजनू चाहता है लैला को, लैला किसी और की दीवानी है..

कहाँ तलाश करोगे

कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा.., जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!

दर्द लफ़्ज़ों में

दर्द लफ़्ज़ों में बयाँ होकर भी दर्द ही रहता है, और प्यार ख़ामोश रहकर भी मुस्कुराता है..

अपने हाथों की हथेली पर

अपने हाथों की हथेली पर उसका नाम तो लिख दिया… पर ये सोच कर बहुत रोया के तकदीर तो खुदा लिखता है..

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