अगर गुलाब देने से

अगर गुलाब देने से मोहबत हो जाया करती, तो आज माली सारे शहर भर का यार होता।

जिस घाव से

जिस घाव से खून नहीं निकलता, समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है..

बाहें डाल कर

बाहें डाल कर , मेरी गर्दन तो नाप ली, अब फन्दे मोहब्बत के , बनाना शुरू करो..!

गुनाहगार को इतना

गुनाहगार को इतना. पता तो होता हैं ज़हा कोई नही होता खुदा तो होता हैं|

जिएँ तो अपने बग़ीचे में

जिएँ तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिए

जहा शेरो पर चुटकलों सी

जहा शेरो पर चुटकलों सी दाद मिलती हो… वहा फिर कोई भी आये मगर एक शायर नही आता…

ए खुदा मौसम को

ए खुदा मौसम को इतना रोमांटिक भी ना कर कुछ लोग ऐसे भी है जिनका मेहबूब नहीं

मैं ढूढ़ रहा था

मैं ढूढ़ रहा था शराब के अंदर, नशा निकला नकाब के अंदर .!!

तुमको देखा तो मौहब्बत भी

तुमको देखा तो मौहब्बत भी समझ आई वरना इस शब्द की तारीफ ही सुना करते थे…!!

सब्र तहजीब है

सब्र तहजीब है मोहब्बत की साहब, और तुम समझते हो की बेजुबान है हम!!

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