पढ़ लेते हो तुम

पढ़ लेते हो तुम…. .मुझे हर बार…. वो दो नीली रेखाएँ गवाह हैं व्हाट्सएप कीं !!

ढल गया आफ़ताब

ढल गया आफ़ताब ऐ साक़ी ला पिला दे शराब ऐ साक़ी या सुराही लगा मेरे मुँह से या उलट दे नक़ाब ऐ साक़ी मैकदा छोड़ कर कहाँ जाएँ है ज़माना ख़राब ऐ साक़ी जाम भर दे गुनाहगारों के ये भी है इक सवाब ऐ साक़ी आज पीने दे और पीने दे कल करेंगे हिसाब ऐ… Continue reading ढल गया आफ़ताब

अब भी अंदाज़ मेरे

मत देखो, ऐसी नज़रों से, मुझको अय! हमराज़ मेरे . मेरा शरमाना, ज़ाहिर कर देता है सब राज़ मेरे. कितनी बार मशक्क़त की, पर सीधी माँग नहीं निकली. लगता है कल रूठे साजन, अब भी हैं नाराज़ मेरे. बरसों पहले, डरते – डरते ,बोसा एक चुराया था. आज तलक कहती हैं के ‘जानम हैं धोखेबाज़… Continue reading अब भी अंदाज़ मेरे

मशहूर थे जो लोग

मशहूर थे जो लोग समंदर के नाम से आँखे मिला नहीं पाए मेरे खाली जाम से ऐ दिल ये बारगाह मोहब्बत की है यहाँ गुस्ताखियाँ भी हो तो बहुत एहतराम से मुरझा चुके है अब मेरी आवाज़ के कँवल मैंने सदाएं दी है तुझे हर मक़ाम से कुछ कम नहीं है तेरे मोहल्ले की लड़कियां… Continue reading मशहूर थे जो लोग

जहान की खिलावट

जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा, गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा, मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब, तुम पागल हो जाओगे पर यह शेर समझ नहीं आएगा….

जीत से होती है

उसकी जीत से होती है खुशी मुझको, यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था…॥

गुड़ियों से खेलती

गुड़ियों से खेलती हुई बच्ची की गोद में आंसू भी आ गया तो समंदर लगा हमें

एक ज़रा सी

एक ज़रा सी जोत के बल पर अंधियारों से बैर पागल दिए हवाओं जैसी बातें करते हैं

खुद को बिखरते

खुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते फिर भी लोग खुदाओं जैसी बातें करते हैं

मेरे खुदा मुझे

मेरे खुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे मैं जिस मकान में रहता हूँ उसको घर कर दे

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