मुस्कुराहटे तो कई खरीदी थी.. मेरे चेहरे पर कोई जंची ही नही..
Category: व्यंग्य शायरी
सुना था लोगों से
सुना था लोगों से वक्त बदलता है और अब . वक्त ने बताया के लोग भी बदलते है …….
मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं
मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं यारों..!!! इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो..!!!
कुछ बेरुखे रिश्तों ने
कुछ बेरुखे रिश्तों ने तोङा है हमें..!फिर पूछते हो तुम्हें हुआ क्या है…
कुछ देर तो हँस लेने दो
कुछ देर तो हँस लेने दो मुझे…. हर पल कहाँ उसे मैं भूल पाता हूँ….
ना रख किसी से
ना रख किसी से मोहब्बत की उम्मीद ख़ुदा की कसम लोग खूबसूरत बहुत है, पर वफ़ादार नही |
कौन देगा चाय के पैसे
कौन देगा चाय के पैसे? मुसीबत थी यही, इसलिए सब धीरे-धीरे चुस्कियां लेते रहे।
हम तो मशहुर थे
हम तो मशहुर थे अपनी तनहाइयों के लिए , मुद्तों बाद किसी ने पुकारा है, एक पल तो हम रुक कर सोचने लगे, कया यही नाम हमारा है ?
बेवजह दीवार पर
बेवजह दीवार पर इल्जाम है बँटवारे का लोग मुद्दतों से एक कमरे में अलग रहते हैं।
मुस्कुराने से शुरु और रुलाने पे
मुस्कुराने से शुरु और रुलाने पे ख़त्म.. ये वो ज़ुल्म है जिसे लोग मुहब्बत कहते है…!