वो शायद किसी महंगे खिलौने सी थी… मैं बेबस बच्चे सा उसे देखता ही रह गया…
Category: वक्त-शायरी
मौसम का इशारा है
मौसम का इशारा है खुश रहने दो बच्चों को मासूम मोहब्बत है फूलों कि खताओं में…
प्यार आज भी
प्यार आज भी तुझसे उतना ही है.. बस तुझे “एहसास” नही और हमने भी जताना छोड दिया…
कल बहस छिड़ी थी
कल बहस छिड़ी थी मयखाने में जाम कौन सा बेहतरीन है, हमने तेरे होंठों का ज़िक्र किया और बहस ख़त्म हो गयी…
बराबर उसके कद के
बराबर उसके कद के यों मेरा कद हो नहीं सकता वो तुलसी हो नहीं सकता मैं बरगद हो नहीं सकता
मोहब्बत करने वालों को
मोहब्बत करने वालों को वक़्त कहाँ जो गम लिखेंगे, ए दोस्तों कलम इधर लाओ इन बेवफ़ाओं के बारे में हम लिखेंगे…..
दहेज़ में तुम सिर्फ मेरे लिए
दहेज़ में तुम सिर्फ मेरे लिए अपनी मोहब्बत लाना हक़.ऐ महेर में तुमको हम अपनी जिंदगी देंगे
कानों में डाल कर
कानों में डाल कर, मोतियों के फूल; सोने का भाव उसने गिराया, अभी- अभी!
कौन कहता है
कौन कहता है दुआओ के लिए हाथो की जरुरत होती है कभी अपनी माँ की आँखों में झांक करके देखिये हुज़ूर
वो अनजान चला है
वो अनजान चला है, जन्नत को पाऩे के खातिर, बेखबर को इत्तला कर दो कि माँ-बाप घर पर ही है..