जब से उसने बारिश में

जब से उसने बारिश में भीगना छोड़ दिया, बादलों ने मेरे शहर में बरसना छोड़ दिया।

कमबख्त बिकता भी नहीं.

किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया हैं ये दिल, कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं.

तुम थक तो नहीं जाओगे

तुम थक तो नहीं जाओगे इन्तजार में तब तक .? मैं मांग के आऊं खुदा से तुमको जब तक ..

अब तो पत्थर भी

अब तो पत्थर भी बचने लगे है मुझसे, कहते है अब तो ठोकर खाना छोड़ दे !!

सजदों में भीगती है

सजदों में भीगती है जिनकी आखे वो लोग छोटी बातो पर रोया नहीं करते |

अजीब हैं इस दुनिया का

अजीब हैं इस दुनिया का दस्तूर… लोग इतनी जल्दी बात नहीं मानते, जितनी जल्दी बुरा मान जाते हैं..!

इंसान बनने की फुर्सत

इंसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती, आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…

न जाने किसका

न जाने किसका मुक़द्दर संवरने वाला है वो किताब में एक चिट्ठी छुपा के निकली है|

वक़्त किसी का ग़ुलाम

लोग कहते हैं कि वक़्त किसी का ग़ुलाम नहीं होता फिर तेरी मुस्कराहट पे वक़्त क्यूँ थम सा जाता है|

मैं चरागों की भला

मैं चरागों की भला कैसे हिफाज़त करता , वक़्त सूरज को भी हर रोज़ बुझा देता है..

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