लफ्जों मे जिंदगी

कीतने कम लफ्जों मे जिंदगी को बयाँ करुँ ? लो तुम्हारा नाम लेके किस्सा तमाम करुँ !!

ताकत दवाओं की

परखता रहा उम्र भर, ताकत दवाओं की, दंग रह गया देख कर, ताकत दुआओं की!!?

कमबख्त ये ज़िंदगी

जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना, कमबख्त ये ज़िंदगी, भरोसे के काबिल नहीं होती…

वो पूछते हैं

वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा, मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो.

यहाँ तो दिल

कौन कम्बख्त मोबाईल की परवा करता है? यहाँ तो दिल हैंग हो गया है…

हिसाब रहता है

फिर कहाँ का हिसाब रहता है ,., इश्क़ जब बेहिसाब हो जाये ,.,!!

दांव पर जिंदगी

मत लगाओ दांव पर जिंदगी को इस खेल में… इस मुहब्बत में जीत की कोई गुंजाईश नही होती.!!

ऐसा भी कायदा हो

मुकद्दर की लिखावट का इक ऐसा भी कायदा हो… देर से किस्मत खुलने वालों का दोगुना फायदा हो……

चादर की ज़रूरत

मुफलिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत, अब खुल के मज़ारों पर ये ऐलान किया जाए.. क़तील शिफ़ाई

यह मन्नत की

मांग लूँ यह मन्नत की फिर यही जहाँ मिले….. फिर वही गोद फिर वही माँ मिले….

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