Shiddat-e-ishq ne Ye haal kiya hai mera, Nabz chalti hai to dukhti hai kalaii meri
Category: मौसम शायरी
तकदीरों को इल्ज़ाम
तकदीरें बदल जाती हैं जब ज़िंदगी का कोई मकसद हो, वरना ज़िंदगी कट ही जाती है तकदीरों को इल्ज़ाम देते देते!
एक हद होती है
हद पार करने की भी… एक हद होती है
तेरे लफ़्ज़ों में
न जाने कौन सी दौलत है तेरे लफ़्ज़ों में, बात करते हो तो दिल खरीद लेते हो!
रंजिश सी निभाते है
सरेआम न सही फिर भी रंजिश सी निभाते है.. किसी के कहने से आते किसी के कहने से चले जाते..
मैं ज़िंदा हूँ
किसी रंजिश को हवा दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी, मुझको एहसास दिला दो कि मैं ज़िंदा हूँ अभी!
दुनिया तबाह कर जायेंगे!
न रूठना हमसे हम मर जायेंगे! दिल की दुनिया तबाह कर जायेंगे! प्यार किया है हमने कोई मजाक नहीं! दिल की धड़कन तेरे नाम कर जायेंगे!
तुम्हें भुला दुँ
अगर चाहुँ तो एक पल में तुम्हें भुला दुँ… पर चाहने से क्या होता है, चाहता तो “मैं” तुम्हे भी बहुत था..!!
मोहब्बत की रंजिश
मेरी ख़ामोशी की ख्वाहिश भी तुम,मेरी मोहब्बत की रंजिश भी तुम….
खुल के गिला करो
रंजिश हो दिल में तो…खुल के गिला करो…. यूं शिकायतों का बोझ लेके किसी से मिला ना करो।