सिसकना,भटकना,और फिर थम जाना…. बहुत तकलीफ देता है, खुद ही संभल जाना…
Category: मौसम शायरी
एक झटके में
किस्सा बना दिया एक झटके में उसने मुझे, जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताता था !!
दिल में रहते हो
भूलना भुलाना दिमाग़ का काम है साहिब…. आप दिल में रहते हो….बेफिक्र हो जाओ….!!
रिश्ता कौन सा है..
निभाते नही है..लोग आजकल..! वरना..इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..
खुली खुली सी जुल्फें
ये खुली खुली सी जुल्फें, इन्हें लाख तुम सँवारो,…. जो मेरे हाथ से सँवरतीं, तो कुछ और बात होती!!..
दिन गुज़र गए
जो आने वाले हैं मौसम, उन्हें शुमार में रख… जो दिन गुज़र गए, उन को गिना नहीं करते…
इस दिल से
एक अरसा गुजर गया तुम बिन फिर तेरी यादे क्यों नहीं गुजर जाती इस दिल से
दिल उदास क्यूँ है
जो जरा किसी ने छेड़ा तो छलक पड़ेंगे आँसू.. कोई मुझसे ये ना पूछें मेरा दिल उदास क्यूँ है..
लहजे बताते है..
हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह, हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..
फिर मत कहना
रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं. . . . फिर मत कहना चले भी गए… और बताया भी नहीं. . . !