सब्र रखो तुम

सब्र रखो तुम जल्द ही एहसास होगा तुमको। मेरा होना क्या था न होना क्या है।।

मिटाओगे कहाँ तक

मिटाओगे कहाँ तक मेरी यादें और मेरी बातें, मैं हर मोड़ पर लफ्ज़ों की निशानी छोड़ जाऊँगा !!

तजुर्बा एक ही काफी था

तजुर्बा एक ही काफी था ,बयान करने के लिए , मैंने देखा ही नहीं इश्क़….. दोबारा करके…..!!!

बेपरवाह हो जाते है

बेपरवाह हो जाते है अक्सर वो… जिन्हे कोई उनकी औकात से भी ज्यादा चाहने लगता है…

किसीके दिल में नहीं धड़कते

क्या हुआ जो हम किसीके दिल में नहीं धड़कते, आँखों में तो कईयों की खटकते है !!

खौफ नहीं अजनबी से

खौफ नहीं अजनबी से मुलाकात का,फिक्र है की कौई रिश्ता ना बन जाये !!

गजलों का हुनर

गजलों का हुनर साकी को सिखाएंगे,… रोएंगे मगर आंसू नहीं आएंगे, कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं,.. .नदीयाँ की तरह तुझसे मिलने नहीं आएंगे!!

उसे बेवफा कहकर..

उसे बेवफा कहकर..हम अपनी ही नजरो में गिर जाते..क्यूंकि वो प्यार भी अपना था..और पसंद भी अपनी..

हमको टालने का शायद

हमको टालने का शायद तुमको सलीका आ गया हे.बात तो करते हो लेकिन अब तुम अपने नही लगते !!!

बहुत रोये वो

बहुत रोये वो हमारे पास आके जब एहसास हुआ अपनी गलती का,चुप तो करा देते हम, अगर चहरे पे हमारे कफन ना होता.

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