ना जाने कितनी बार

ना जाने कितनी बार अनचाहे किया है सौदा सच का, कभी जरुरत हालात की थी और कभी तकाज़ा वक़्त का|

ज़रूरतों ने उनकी

ज़रूरतों ने उनकी, कोई और ठिकाना ढूंढ लिया शायद, एक अरसा हो गया, मुझे हिचकी नहीं आई|

आज मेरे किरदार मे…

चन्द खोटे सिक्के जो खुद कभी चले नही बाजार मे… वो भी कमिया खोज रहे है आज मेरे किरदार मे…

दीवाने होना चाहते हैं

सब इक चराग़ के परवाने होना चाहते हैं… अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं|

छोटा मत समझना

एकबात याद रखना कभी किसी को छोटा मत समझना।

छोड़ दिया सबको

छोड़ दिया सबको बिना वजह तंग करना, जब कोई अपना समझता ही नहीं तो उसे अपनी याद क्या दिलाना !!

कब लोगों ने

कब लोगों ने अल्फ़ाज़ के पत्थर नहीं फेंके वो ख़त भी मगर मैंने जला कर नहीं फेंके ठहरे हुए पानी ने इशारा तो किया था कुछ सोच के खुद मैंने ही पत्थर नहीं फेंके इक तंज़ है कलियों का तबस्सुम भी मगर क्यों मैंने तो कभी फूल मसल कर नहीं फेंके वैसे तो इरादा नहीं… Continue reading कब लोगों ने

एक नया दर्द

एक नया दर्द एक नया दाग़ मेरे सीने में छोड़ देती है… रातें अक्सर मेरे कमरे की दहलीज़ पर ही दम तोड़ देती है|

छोड़ देते है

छोड़ देते है लोग रिश्तें बनाकर…. जो कभी ना छूटे वो साथ हूँ मैं|

दूर – दूर भगते फिरें

दूर – दूर भगते फिरें, जो हैं ख़ासम – ख़ास। सभी व्यंजनों की हुई, गायब आज मिठास।।

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