कंही पर बिखरी हुई बातें कंही पर टूटे हुए वादे, ज़िन्दगी बता क्या तेरी रज़ा है और क्या तेरे इरादे…
Category: प्यार शायरी
खुद को मेरे दिल में
खुद को मेरे दिल में ही छोड़ गए हो, तुम्हे तो ठीक से बिछड़ना भी नहीं आया…
आज फिर शाख़ से
आज फिर शाख़ से गिरे पत्ते और मिट्टी में मिल गए पत्ते|
ये सोचना ग़लत है
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं, मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं।
कैसी उलझन बढा रहे हो
हिचकीया दीलाकर ये कैसी उलझन बढा रहे हो आंखे बंद है फिर भी नजर आ रहे हो बस इतना बता दो हमें याद कर रहे हो या अपनी याद दिला रहे हो
पता नही होश मे हूँ..
पता नही होश मे हूँ.. या बेहोश हूँ मैं…. पर बहूत सोच समझकर खामोश हूँ मैं..!!
वो इस तरह
वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे , जैसे कोई गम छुपा रहे थे……! . बारिश में भीग के आये थे मिलने, शायद वो आंसु छुपा रहे थे…!!
ये सोचना ग़लत है
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं, मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं।
वो कहानी थी
वो कहानी थी, चलती रही, मै किस्सा था, खत्म हो गया…!!!
दर्द की हद को
दर्द की हद को समझना है तो ये कर ले… जो किसी और को चाहे बस उससे मुहब्बत|