कुछ तो सम्भाला होता…. मुझे भी खो दिया तुमने…..
Category: जिंदगी शायरी
मैं आदमी हूँ
मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर मैं आज अपनी ज़ात से घबरा के पी गया
जो गुज़ारी न जा सकी
जो गुज़ारी न जा सकी हम से हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
मुझे जलन है
मुझे जलन है तेरे आईने से, ये तुझे देखता है बहुत करीब से..
उनकी आँखों से
उनकी आँखों से आँखें मिली और हमको नशा हो गया…
ख्वाहिश सिर्फ यही है
ख्वाहिश सिर्फ यही है की.. जब मैं तुझे याद करु तू मुझे महसूस करे….!!!!
हवा के साथ
हवा के साथ बहने का मज़ा लेते हैं वो अक्सर, हवा का रुख़ बदलने का हुनर जिनको नहीं आता।
मेरी आँखों में
मेरी आँखों में आँसू की तरह एक रात आ जाओ, तकल्लुफ से, बनावट से, अदा से…चोट लगती है।
गुज़रे इश्क़ की
गुज़रे इश्क़ की गलियों से और समझदार हो गए, कुछ ग़ालिब बने यहाँ कुछ गुलज़ार हो गए।
अपनी मौजूदगी का
अपनी मौजूदगी का एहसास दिला दिया कर, थक गया हूँ शायरियां करते-करते।