ना शाख ने जगह दी ना हवाओं ने बख्शा. वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता
Category: गुस्ताखियां शायरी
मिलेंगे मुझसे वक्त लेकर
इन्कार है जिन्हे आज मुझसे मेरा वक्त देखकर, मै खूद को इतना काबील बनाउंगा वो मिलेंगे मुझसे वक्त लेकर
अजीब किस्सा है
अजीब किस्सा है जिन्दगी का, अजनबी हाल पूछ रहे हैं… और अपनो को खबर तक नहीं.
फूलो से क्या
फूलो से क्या दोस्ती करते हो, फूल तो मुरझा जाते है. अगर दोस्ती करनी है तो कॅंटो से करो, क्यूकी वो चुभ कर भी याद आते
रिश्तो की रस्सी
रिश्तो की रस्सी कमजोर तब हो जाती है जब इन्सान “गलत फहमी”मे पैदा होने वाले सवालो के “जवाब” भी खुद बना देता है ।
लेकिन सर झुकाके
समंदर बनके क्या फायदा, बनना है तो तालाब बनो… जहाँ शेर भी पानी पीता है, लेकिन सर झुकाके.
अच्छा-बुरा होना है
जो भी कुछ अच्छा-बुरा होना है जल्दी हो जाए, शहर जागे या मेरी नींद ही गहरी हो जाए…
कुछ तो नाज़ुक मिजाज है हम
कुछ तो नाज़ुक मिजाज हे हम भी ओर ये चोट भी नई हे अभी भरी दुनिया मे जी नही लगता जाने किस शक्सकी कमि हे अभी !!!
मोहब्बत हर मोहब्बत
बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को क्यूकि इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता..!!
आशिकों ने ही
आशिकों ने ही दिया है तुझको ये मुकाम गज़ब का, वरना ऐ इश्क तेरी दो कौड़ी की औकात नहीं…!