गुनाह कुछ हमसे

गुनाह कुछ हमसे ऐसे हो गए। यूँ अनजाने में फूलों का क़त्ल कर दिया। पत्थरों को मन ने में।

उसे कहना बिछडने से

उसे कहना बिछडने से, मोहब्बत तो नहीं मरती

तुम्हारा हर अंदाज़

तुम्हारा हर अंदाज़ अच्छा है ! सिवाय नज़र अंदाज़ करने के !!

क्यों एक दुआ में

क्यों एक दुआ में अटक के रह गया है दिल, क्यों तेरे सिवा कुछ और माँगा नही जाता|

सिर्फ बेहद चाहने से

सिर्फ बेहद चाहने से क्या होता है, नसीब भी होना चाहिए किसी का प्यार पाने के लिए।।

ना जाने कितनी

ना जाने कितनी अनकही बातें, कितनी हसरतें साथ ले जाएगें.. लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएगें|

ये ज़िंदगी भी

ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी है हम-नफ़सो सितारा बन के जले बुझ गए शरर की तरह…

सौ बार टूटा दिल

सौ बार टूटा दिल मेरा, सौ बार बिखरी आरजू जिस्म से उड़ चला है परिंदा न जाने कहां जाएगा

अजीब हूं मैं

अजीब हूं मैं भी कि अपने आप को गंवाना चाहता हूँ … कि अपने आप से पीछा छुड़ाना चाहता हूँ … !!

कबर की मिट्टी

कबर की मिट्टी हाथ में लिए सोच रहा हूं; लोग मरते हैं तो गुरूर कहाँ जाता है!!!

Exit mobile version