वो कहते रहे झूठ, मै करता रहा यकीन। इतना यकीन किया, यकीन नही होता।
Category: औकात शायरी
मैं जलता हूँ उन बातों से
मैं जलता हूँ उन बातों से भी, वो बातें.. जो मैं खुद भी नही जानता।
हर रात उधेड़ देती हैं
हर रात उधेड़ देती हैं उन शामो को, जो उन दिनों मेरी सुबह लेके आई थी।
बुलंदियो को पाने की ख्वाहिश तो बहुत है
बुलंदियो को पाने की ख्वाहिश तो बहुत है मगर , दूसरों को रौंदने का हुनर कहां से लाऊं….
मेरी ख्वाइश थी कि मुझे
मेरी ख्वाइश थी कि मुझे तुम ही मिलते, मगर मेरी ख्वाइशों की इतनी औकात कहाँ…..
चुप्पियां जिस दिन खबर हो जायेगी
चुप्पियां जिस दिन खबर हो जायेगी, कई हस्तियां दर – ब – दर हो जायेगी
जीभ में हड्डिया नहीं
जीभ में हड्डिया नहीं होती फिर भी जीभ हड्डियां तुड़वाने की “ताक़त” रखती हैं..!!
तू अपने ग़रीब होने का
तू अपने ग़रीब होने का दावा न कर, ऐ दोस्त, हमने देखा है तुझे बाज़ार में “तुवर की दाल” खरीदते हुए…
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
जिन्दगी की दौड़ में, तजुर्बा कच्चा ही रह गया, हम सिख न पाये ‘फरेब’ और दिल बच्चा ही रह गया !
भले ही कोशिशें करो समझदार बनने की
भले ही कोशिशें करो समझदार बनने की लेकिन खुशियाँ बेवकूफियों से ही मिलेगी…