रूठा रहे मुझसे वो, मंजूर है, लेकिन,
उसे समझा दो कि वो मेरा शहर ना छोङे,
प्यार तो किस्मत में नहीं है शायद,
कम से कम उसका दीदार तो होता रहे।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रूठा रहे मुझसे वो, मंजूर है, लेकिन,
उसे समझा दो कि वो मेरा शहर ना छोङे,
प्यार तो किस्मत में नहीं है शायद,
कम से कम उसका दीदार तो होता रहे।