“उम्र भर सूखे पत्तों की तरह बिखरे हुए थे
हम ,आज किसी ने समेटा,
वो भी जलाने के लिए “”।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
“उम्र भर सूखे पत्तों की तरह बिखरे हुए थे
हम ,आज किसी ने समेटा,
वो भी जलाने के लिए “”।