सफर तो लिखा हैं

अजब पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की इन लकीरों में…

सफर तो लिखा हैं मगर मंजिलों का निशान नहीं ….!!!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version